इससे पहले भी दरभंगा के तीन ऐतिहासिक तालाब – हराही, दिग्घी और गंगासागर – का संगम बनाने के लिए कई प्रयास हो चुके हैं। शहर के प्रमुख तीनों तालाब का सुंदरीकरण महाराज रुद्र सिंह (1839–1850) ने अपने कार्यकाल में कराया था। इसके बाद रईस हाजी मो. वाहिद अली खान ने भी इस दिशा में काम किया था। हालांकि, इन प्रयासों के बाद कोई ठोस पहल नहीं हुई।
वर्ष 1974 में, तत्कालीन रेलमंत्री ललित नारायण मिश्रा ने इन तालाबों को पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा की थी, लेकिन आज तक इसके आगे कोई कार्य नहीं बढ़ा। 1993 में, तत्कालीन डीएम अमित खरे ने इन तालाबों के सुंदरीकरण का प्रयास किया, लेकिन उनका तबादला होने से यह योजना अधूरी रह गई। इसके बाद, 1994 में छात्र संस्था तरू-मित्र ने रैली निकालकर इस मुद्दे पर आंदोलन किया था।
अतिक्रमण के चलते तालाब की स्थिति खराब
दरभंगा शहर में हराही, दिग्घी और गंगासागर तालाब एक पंक्ति में स्थित हैं। क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे बड़ा दिग्घी तालाब है, जिसका रकबा 112 बीघा 10 कट्ठा है। इसके ठीक उत्तर में हराही तालाब है, जिसका क्षेत्रफल 62 बीघा 10 कट्ठा है। दिग्घी के दक्षिण में तीसरा गंगा सागर तालाब है, जिसका क्षेत्रफल 78 बीघा दो कट्ठा 10 धूर है। अतिक्रमण के कारण इन तालाबों की स्थिति बहुत खराब हो गई है।
नई योजना और संभावनाएं
इस नई योजना के तहत, तीनों तालाबों का संगम होकर बिहार का सबसे बड़ा तालाब बनेगा, जिसका रकबा लगभग 156 एकड़ होगा। यहां पर्यटकों के लिए नैनी झील जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी, जिसमें वाटर स्पोर्ट्स भी शामिल होंगे। इससे न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। पूरी परियोजना की डीपीआर तैयार हो चुकी है और इसे बुडको की देखरेख में पूरा किया जाएगा।
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